मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

डर कैसा रुसवाई का

डर कैसा रुसवाई का
 - सविता असीम 


डर कैसा रुसवाई का
कहना था सौदाई का

किस्सा भाई-भाई का
बँटवारा अंगनाई का

महफ़िल-महफ़िल गाते हैं
हम नग़मा तनहाई का

सहरा बोला बादल से
दर्द समझ पुरवाई का

क्या तुमको अंदाज़ा है
इस दिल की गहराई का

मौसम के अनुमान-सा है
वादा इक हरजाई का

तेरा जलवा देख सके
मक़सद है बीनाई का

अर्थ न रावण जान सका
तुलसी की चौपाई का

सौदा करने पर मजबूर
लोग ‘असीम’ अच्छाई का

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